14 नवंबर 2010

मैं तुम्हारा दोस्त हूँ, चेहरा नहीं

नहीं , अभी नहीं , तो कब ? उम्र अब बारहा नहीं ,
अब तेरे दिल पर तेरी उम्र का पहरा नहीं |
उम्र के सोलह बरस में क्या -क्या हुआ है तुझे ,
दिल क्या कहेगा ये दिल भी अब तेरा नहीं |
क्या हुआ कश्तियों को , औ ' कहाँ माझी तमाम 
और इस चढ़ती नदी में क्यों कोई उतरा नहीं ?
मिलने को जब दो घड़ी है , तो मिल बैठ ले 
उम्र की बंदिश से ज्यादा यहाँ कोई ठहरा नहीं |
ये अढाई घर की चालें अब कब तक चलोगे ?
जिंदगी  है ये कोई  शतरंज का मोहरा नहीं |
तुमको सोने की परख हो , सोने सा परखो नहीं ,
हर कसौटी पर यहाँ कोई भी खरा नहीं |
शायर हो गया हूँ , कोई सिरफिरा नहीं ,
और तेरा नाम लेना इतना बुरा नहीं |
ग़र तेरी हाँ ना के बीच मौसम यूँ अटका रहा ,
मुझको वो मौसम बहुत धुंध हो कोहरा नहीं |
मैं तुमसे अलग हूँ, बिलकुल अलग ,
मैं  तुम्हारा दोस्त हूँ,  चेहरा नहीं |

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