14 दिसंबर 2010

हमनवां


काश तू मुझसे हमनवां  होता,
ये दिल बहुत आशना होता .
जिंदगी और कामयाब होती ,
जो तू मुझपे मेहरबां होता .
तमाम उम्र जिसकी जुस्तजू की ,
वो काश हमारे दर्मयाँ होता .
जिस  दरख़्त की आरज़ू की ,
वो उन जंगलों में कहाँ होता .
अगर मोहब्बत नहीं होती ,
मैं बहुत बद्जुबां होता .
तुमसे अच्छी शायरी नहीं होती ,
और न मैं ग़ज़लदां  होता .
तमाम उम्र का हासिल है तू ,
बस खुदा इतना मेहरबां होता .
मेरे जिक्रे हयात के लिए ,
तेरा हँसना, कहकशां होता.

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

आपके समय के लिए धन्यवाद !!

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...