15 जून 2011

अबकी बारिशों में

अबकी बारिशों में सराबोर  का मन है 
उसकी यादों से रक्स  मोर का मन है .
कौन खड़ा है बंद दरवाजों  के पीछे ,
तांकता-झांकता किस चोर का मन है .
सुलगा  जिनके चुम्बन से दावानल ,
उन पत्थरों से घटा- घनघोर का मन है .  
समंदर के किनारे  रेत पर  लेटे हुए
तुम्हारे नाम की हिलोर का मन है .
अँधेरी रात कड़कती बिजली से डर के
लिपट जाये सोचता कमजोर का मन है .
अबकी बारिश में दरक  जायेगा ये मंका
तुम्हारे शहर में किसी ठोर का मन है .
इन वादियों में  लेकर तुम्हारा नाम 
खामोशी तोड़ने , कुछ शोर का मन है .
मौसम के दस्तूर बहुत पुराने हैं 
गर्म पकौड़ी - चाय  चटोर का मन है

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