9 मार्च 2012

होली में


हाथों में है आज बरसों बाद फिर गुलाल होली में
मुझे क्यों याद आते हैं तुम्हारे गाल होली में||


बहुत दिनों से नहीं की कोई धमाल होली में
साली याद आती है चलो ससुराल होली में ||


जाने मनचला कर गया क्या मनुहार होली में
बिना रंग के ही हो गई गोरी पूरी लाल होली में ||


चढ़ाई भांग, ठंडाई, और हुआ अब ये हाल होली में
पड़ोसन के घर ना हो जाए कोई बवाल होली में ||


भीगा बदन , चोली, दुपट्टा, , सर, बाल होली में
न उसने ना-नुकुर की न ही कोई सवाल होली में ||


छोडो बाल्टी , गुब्बारे , पिचकारी , अबीर-गुलाल
चलो रंगों से घोल दें इस साल पूरा ताल होली में ||


मिलेगा  दिन में न मौका लगा नवकी दुल्हिन को
रात में ही किया देखो दूल्हे का क्या हाल होली में ||


गाली , मस्ती, चुहल , छेड़छाड़ , और थोड़ी ठिठोली
भड़ास दिल की औ' मन का मैल निकाल होली में ||


न ठुमरी, दादरा, चैती , फाग, होरी कोई मनवा में
उसके बाद नहीं जमता हमेँ कोई सुर-ताल होली में ||


न अब चाहता है कोई हम उसे रंग में अपने डूबो दें
बुढ़ापा रंग गया है सफ़ेद हमारे सब बाल होली में ||


उड़ाओ घर पे गुझिया, मालपुआ , तरमाल होली में
हमारे हिस्से वही परदेस वही रोटी दाल होली में ||

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